आज का पंचांग। 22 फरवरी 2023

???? *~ वैदिक पंचांग ~* ????

????️ *दिनांक – 22 फरवरी 2023*
????️ *दिन – बुधवार*
????️ *विक्रम संवत – 2079*
????️ *शक संवत -1944*
????️ *अयन – उत्तरायण*
????️ *ऋतु – वसंत ॠतु*
????️ *मास – फाल्गुन*
????️ *पक्ष – शुक्ल*
????️ *तिथि – तृतीया 23 फरवरी रात्रि 03:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
????️ *नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद 23 फरवरी प्रातः 04:50 तक तत्पश्चात रेवती*
*????️योग – साध्य रात्रि 11:47 तक तत्पश्चात शुभ*
????️ *राहुकाल – दोपहर 12:52 से दोपहर 02:19 तक*
*???? सूर्योदय- 06:45*
????️ *सूर्यास्त – 17:58*
???? *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
???? *व्रत पर्व विवरण –
???? *विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
????~*वैदिक पंचांग* ~????

???? *वसंत ऋतु का संदेश* ????
???? *खान-पान का ध्यान विशेष-वसंत ऋतु का है संदेश*
➡ *19 फरवरी से 19 अप्रैल तक वसंत ऋतु ।*
???? *ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उल्टी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए |*
???? *आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफ वर्धक हैं | (अष्टांगहृदय ३.२६)*
???? *वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग , अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है |*
➡ *विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है | तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है |*
???? *वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग* ????
???? *२ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से ‘रसायन’ के लाभ प्राप्त होते हैं |*
???? *१५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है |*
???? *अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है |*
???? *५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है |*
???? *रीठे का छिलका पानी में पीसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है |*
???? *१० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है |*
???? *१० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है |*
???? *सावधानी : मुँह में कफ आने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें | कफ की तकलीफ में अंग्रेजी दवाइयाँ लेने से कफ सूख जाता है, जो भविष्य में टी.बी., दमा, कैंसर जैसे गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकता है | अतः कफ बढ़ने पर जकरणी जलनेति का प्रयोग करें*

???? *~ वैदिक पंचांग ~* ????
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